
पिछलें एक साल पहलें नासा ( NASA ) नें सुर्य के अंतरंगसे सुनाई देनेंवाली सुक्ष्म ध्वनी लहरोंका पता लगाया है l ईस ध्वनी लहरोंके माध्यमसें स्पष्ट रुपसें अनाहत नाद अर्थात ॐ कार का उच्चारण निरंतर हो रहा है यह स्पष्ट हुआ है l यह बात नासा के लिऐ भलें ही नई है लेकींन हमारे हिंदू वैदिक ग्रंथोंमे ईसका स्पष्ट उल्लेख हजारों साल पहलेही किया जा चुका है l ईस सुर्य के अंदरसे निरंतर उच्चारण होनेवाले ॐ शब्द कें अनाहत नाद को प्रतिसाद देनेंवाली ऐक बहुत ही सहज ऐवं आसानसी साधना दत्तप्रबोधिनी सेवा ट्रस्ट के माध्यमसें प्रस्तुत कर रहें है l
यह साधना ईतनी आसान है की ईसे करने के लिऐ ३ मिनीट से ज्यादा समय नहीं लगता l सुबह छह बजह से राज को नौ बजह तक दिनभकरकीं तय कियें हुए खाली समय में यह साधना सिर्फ नामजप के माध्यमसें ज्यादा से ज्यादा तीन मिनीट अवधी लगती है l हाथों में रुद्राक्ष अथवा कोई भी जप माला हो या ना हो, कोई बात नही l सिर्फ आपका ध्यान ईश्वर चरणोंमें लीन होना चाहीऐ, ईतनी ही अपेक्षा है l
जरुरी सुचना
यह साधना प्रखर उर्जादायिनी है l शुरुवाती तीन मिनिटोंतक मन कों ऐकाग्र करना है l यह साधना मंत्र महारुद्र ऐवं भगवान शिव कें पांचवे अवतार स्वरुप है l ईसलिऐं ईसका मानसिक जाप करना ही उचित है l
ध्यान साधना - २ ( धारणा )
मन में नामधारणा कैसे करे ?
सुबह छह बजेसे लेकर रात नौ बजह तक हर तीन घंटोंके अंतरालसें पृथ्वीतलसें अनाहत रुद्र नादोक्त ब्रम्हांडीय नामप्रवाह हजारों साधकोंके माध्यमसें हम आत्मासें सुर्यस्थित परमात्मा ईनमें ब्रम्हाण्डीत उर्जा के रुपमें बहुत ही बडीं मात्रामें शक्ती प्रवाहीत होती रहती है l ईस प्रवाह में कोई भी ईच्छा या आकांक्षा न रखते मैं भी शामील हो रहा या हो रहीं हु यह सोच मजबुती के साथ रखनु चाहीऐ l
सुर्यलोक स्थित महासिद्ध महापुरुषोंतक अपनी आत्माकीं अनुभुती पोहोचानें हेतु मैं यह साधना कर रहा हूं l,ईस दृढ भावसें ऐवं पुरी श्रद्धा, विश्वास, लगन सें यह मानसिक सेवा श्री दत्तात्रेय स्वामीं महाराज खुदहीं मुझसें करवाकें लें रहे है l ऐसी धारणा किजीऐ l प्रारंभ मे एक महीना यह नाम साधना करके अनुभव लिजीऐ l हम सभी ईस भुतल पर विराजमान नश्वर जीव तथा सुर्यस्थित परमेश्वर शिव ईनमें समीप अंतर मिटनें हेतु यह साधना प्रकाशित कर रहें है l
हमारी गर्भनाल अर्थात हमारी आत्मा की डोर सद्गुरु दत्तात्रेय स्वामीं महाराज के चरणों मे विराजनें वाले परमात्मासें जुडी हुई होती है l ईस गाँठ को ब्रम्हगाँठ बनाने हेतु यह सुक्ष्म अनुभुती हेतु साधना लिख रहे है l
साधना नाम ऐवं विधी
हर दिन सुबह छह बजह से ले कर रात नौ बजह तक ह तीन घंटो बाद सिर्फ तीन मिनिट के लिऐ धारणायुक्त नाममंत्र का जाप करना चाहिऐ l
जप नाम मंत्र : ॐ काळभैरवाय नमः l
सर्व वक्त रेडीओ टाईमपर निर्धारीत है l
सुबह - छह बजें ... तीन मिनिट तक जाप करें या फिर ( १०८ की १ माला )
सुबह - नौ बजें ... तीन मिनिट तक जाप करें या फिर ( १०८ की १ माला )
दोपहर - बारा बजें ... तीन मिनिट तक जाप करें या फिर ( १०८ की १ माला )
दोपहर - तीन बजें ... तीन मिनिट तक जाप करें या फिर ( १०८ की १ माला )
संध्याकाल - छह बजें ... तीन मिनिट तक जाप करें या फिर ( १०८ की १ माला )
रात्री - नौ बजें ... तीन मिनिट तक जाप करें या फिर ( १०८ की १ माला )
यह एक तरह कीं सामुहीक प्रार्थना है l ईसकें लिऐ कोई देश, काल, स्थान अथवा परिस्थिती बंधन नही होती l और हर एक साधना का वक्त हर रोज १००% निभाना ही है ऐसा भी कोई बंधन नही है l यथाशक्ति सहजासें कभीभी जैसे भी कर सकतें है वैसे करी यें l कोई बंधन नही क्योंकी यह मानसिक जाप है l
संपर्क : श्री. कुलदीप निकम
( Dattaprabodhinee Author )
भ्रमणध्वनी : +91 9619011227
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