कभी कभी कोई वास्तु बाहर से बहुत सुंदर दिखाई देती है। वास्तु के आंतरिक और बाहरी डिजाइन इंसान को मोहित करते हैं। लेकिन क्या जो चमकता है वह सोना ही है ? यह सवाल खुद से पूछना होगा ...!
किसी भी वास्तु को खरीदने से पहले, हमें वास्तु के स्थान का इतिहास और वहाँ पर पहले बसे हुए इलाके का अध्ययन करना चाहिए। यदि हम कड़ी मेहनत करके कमाया हुआ पैसा और समय खर्च करने के लिए तैयार हैं, तो नए वास्तु का पुरुषात्मक आत्म विवेचन खुद के द्वारा किया जाना चाहिए। ताकि समय रहते भविष्य में किसी भी बड़ी दुर्घटना से बचना संभव होगा। समय के चले जाने के बाद शोक करने का कोई मतलब नहीं है। वास्तु से संबंधित सभी नकारात्मक ऊर्जाओं को मिटाने के लिए, हमें शुरुआती तैयारियां प्राथमिक रूप से करनी होगी।
जो लोग सावधान नहीं होते वो अपने बच्चों के साथ बिना किसी वजह बाधितवास्तु के कालचक्र में फंस जाते हैं। उसमें फंसने का एकमात्र कारण वास्तु में मृतात्माओं का संचार होना होता है ...! यह मृतात्मा इस वास्तु में रहनेवाले सदस्यों को मानसिक, शारीरिक, सामाजिक, आर्थिक और आध्यात्मिक पीड़ाएँ उत्पन्न करते (नुकसान पहुँचाते) है। परिणामस्वरूप, कई लोगों की मौत भी हो जाती है। इसलिए, इसके दुप्रभाव से बचने के लिए उस वास्तु को सस्ती कीमत पर बेच देते है और किसी दूसरे मूर्ख के मत्थे जड़ देते है। इसी तरह यह व्याधिचक्र ऐसे ही चलता रहता है।
हमारे साधक इस मृत्युजाल कभीभी न फंसें इसीलिए महाराज की कृपा से वास्तु पर विशेष जानकारी लिख रहें है।
नई वास्तु या उपयोग किया हुआ वास्तु खरीदने से पहले, हम वास्तु के संबंध में। दिशा निर्देशों का पालन किया है या नहीं यह तो देखते ही है लेकिन इसीके साथ हमें वास्तु से संबंधित इतिहास, वास्तु परिसर और निद्रिस्त स्पंदन ( ना दिखने वाले स्पंदन/कंपन ) के बारे में भी जानना चाहिए। सामान्य नियमों के अनुसार, नर्सिंग होम, फ्लाईओवर ब्रीज, कब्रिस्तान, कब्रिस्तान, काले जामुन का पेड़ , इमली का पेड़ और बरगद के वृक्ष इन सब से काफी दूर हमारी वास्तु होनी चाहिए।
हम जिस घर में रह रहे है, वह घर बाधितवास्तु तो नहीं ? यह कैसे पहचानें !
जिन घरों में हमेशा गंदगी, कचरा और मकड़ी के जाल होते हैं वहीं घर मृतात्माओं को बहुत अच्छे लगते हैं । वें वहीं जमकर बैठ जाते हैं। इसी तरह, जहाँ भी मृतकों की श्राद्ध विधि नहीं की जाती है, वहाँ भी तरह तरह के उपद्रवों का सामना करना पड़ता है साथ ही घर में किसी की मृत्यु हो जाने पर हमारे यहाँ उदक शांत यह विधि करने की प्रथा है। यह विधि वास्तव में अच्छी है। इस प्रकार वास्तु शुद्ध हो जाती है। कई लोग बाहर से घर पर आने पर अपने हाथ-पैर नहीं धोते हैं।
कई बार श्मशान घाट, नर्सिंग होम, फ्लाईओवर हवा, कब्रिस्तान, काले जामुन का पेड़, इमली का पेड़ और बरगद के पेड़ के परिसर से गुजर कर आते हैं तब उनके साथ मृतात्मा भी घर में घुस आते है। जिसके लिए अक्सर महिलाओं के शरीर का उपयोग घर में प्रवेश करने के लिए किया जाता है और हम यह सब पहचान नहीं पाते हैं।
बाधित वास्तु से छुटकारा पाने के लिए क्या करना चाहिए ?
वास्तु को शुद्ध करने के लिए प्रारंभिक रूप से कुछ सुझाव दे रहें है। अगर वास्तु बहुत प्रदूषित नहीं है तो यह निश्चित रूप से उपयोगी है। इन उपायों को लगातार छह महीने तक करने की जरूरत है। दो-चार दिन करके कुछ नहीं होगा। नियमित स्तोत्र पठन, गायन और गुरुचरित्र पारायण जारी रखना चाहिए ताकि कोई नई समस्या उत्पन्न न हो।
निम्नलिखित प्रारंभिक उपचारात्मक उपाय हैं ...!
- 1। अपनी वास्तु को यथासंभव स्वच्छ और पवित्र रखने का प्रयास करें।
- 2।घर मे हर दिन पवित्रता बनाए रखने के लिए आपको पाठ करते समय 11 बार रामरक्षा का पठन करना चाहिए।
- 3। गोमूत्र का छिड़काव घर के अंदर बीच बीच मे करतें रहें, अर्गला, किलक और कुंजिकास्त्रोत का पाठ करते रहना चाहिए।
- 4। नवनाथ ग्रंथ, गुरुचरित्र पारायण करें। पठन के दौरान हर दिन कम से कम 100 पंक्तियों को जोर से पढ़िए।
- 5। घर में लोभान, धूप, अगरबत्ती जलाना। वातावरण को सुगंधित बनाए रखना।
- 6। जिस वास्तु में नित्य कोई उपासना, साधना साथ ही नाम जाप आदि का अभ्यास चल रहा हो तो उस वास्तु में दृष्ट मृतात्मा नहीं रह सकते।
कई बार, उपाय शुरू करने से समस्याएं बढ़ जाती है क्योंकि वे बुरी शक्तियाँ उस जगह को छोड़ना नहीं चाहती हैं। इसलिए, यदि समस्या बढ़ जाती है, तो आपके द्वारा शुरू किए गए उपायों को कम से कम छह महीने तक निरंतर करते रहिए। छह महीने के बाद उसका परिणाम दिखाई देगा। कृपया जल्दबाजी मत करिए।
संपर्क : श्री. कुलदीप निकम
( Dattaprabodhinee Author )
भ्रमणध्वनी : +91 9619011227
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