मैस्मरइज्म का रहस्य : एक सिद्ध दृष्टि



संसार के स्थूल नेत्रों से देखने पर यह विश्व पदार्थों, आकृतियों और देहों का जमघट प्रतीत होता है; परन्तु एक सिद्ध साधक की दृष्टि में यही विश्व अदृश्य तरंगों, कंपनों और आकर्षणशक्ति की महागाथा है। मानव, पशु, पक्षी, जलचर, कीट सबके भीतर एक ऐसी चुंबकीय जैवऊर्जा सतत प्रवाहित होती रहती है, जिसे आज की भाषा में मैस्मरिज़्म (Mesmerism) कहा जाता है, और हमारी प्राचीन परम्परा में इसे भौतिक आकर्षण, ब्रह्मचेतना का प्रवाह, प्राणशक्ति का संस्पर्श, या मनोचुम्बकत्व के नाम से जाना गया है। यह शक्ति जितनी सरल दिखाई देती है, उतनी ही गहन, गंभीर और रहस्यमय है। यह शक्ति कोई बाहरी जादू नहीं ; मनुष्य के भीतर स्थित अर्धजाग्रत ईशचेतना का प्रत्यक्ष प्रगटीकरण है।



🐟 1. प्रकृति में मैस्मरिज़्म : मछलियों, पशुओं की मौन टेलीपैथी

प्रकृति का प्रत्येक जीव अपने समान को आकर्षित करता है। मछलियों का समूह एक ही मोड़ पर घूमता है, कीट एक साथ उड़ते और रुकते हैं, पक्षी बिना बोले दिशा बदलते हैं ; कौन सा विद्युत तार उन्हें जोड़ता है? यह है आकर्षणशक्ति का सूक्ष्म नियम, जो उनके भीतर जन्मजात रूप से सक्रिय है।


मनुष्य भी इसी शक्ति से ;

  • जंगली घोड़े को शांत कर सकता है,
  • उग्र कुत्ते को वश में कर सकता है,
  • सर्प को निश्चल कर सकता है,
  • घायल पशु को केवल स्पर्श प्रवाह से राहत दे सकता है।

यह कौतुक नहीं, यह प्राणचेतना का हस्तांतरण है।


🔥 2. यह शक्ति मनुष्य में क्यों अधिक है?

जीवों में यह जन्मजात होती है। परन्तु मनुष्य में यह पूर्ण विकसित रूप में छुपी हुई रहती है।

क्योंकि ;

  • उसकी मस्तिष्कीय तरंगें अधिक सूक्ष्म हैं
  • उसकी नसों में मोशन वेन और सैन्सेशन वेन नामक दो प्रवाह अद्वितीय ढंग से कार्य करते हैं 
  • उसके भीतर भाव, संकल्प, स्मृति और चेतना अधिक प्रबल रूप से मिश्रित हैं  

इसी कारण उसका स्पर्श, उसकी दृष्टि, उसकी वाणी दूसरों पर अनूठा प्रभाव उत्पन्न कर सकते हैं। जब बलवान, रोगी, वृद्ध, युवा सब एक स्थान पर रहते हैं, तो बलवान का बल निर्बलों में प्रवाहित होने लगता है। यह घटना केवल सामूहिक वातावरण नहीं ; यह चुम्बकीय सामूहिकता (Magnetic Field Resonance) है।


🕉️ 3. प्राचीन भारत में ‘हाथ फेर कर रोग मिटाना’

हमारे ऋषि, नाथसाधु, तांत्रिक, यहाँ तक कि वैद्य भी हाथ फेर कर, स्पर्श देकर, दृष्टि डाल कर रोग, पीड़ा, भय, वेदना को शांत कर देते थे। लोग इसे चमत्कार समझते हैं, परन्तु यह है प्राकृतिक मैस्मरिज़्म की कला। बाइबल, ज़रथुस्त्र, मिस्र के पुरोहितों, टिब्बत के लामाओं सबके इतिहास में यह शक्ति प्रमाणित है। यूरोप में जिस दिन इस शक्ति का वैज्ञानिक रूप से प्रमाण हुआ, उसे Mesmerism-Day कहा गया, और तब से लेकर आज तक लाखों घटनाओं ने इसे प्रमाणित किया है।


👁 4. क्लेयरवायेंस : समय और स्थान को भेदने की शक्ति

मैस्मरिज़्म का उच्चतम रूप है ; 👉क्लेयरवायेंस (Clairvoyance)

यह वह अवस्था है जब मनुष्य 

  • सूक्ष्म देखता है
  • भविष्य को जानता है
  • वर्तमान के दूरस्थ दृश्य सुनता–देखता है
  • अपने अथवा किसी अन्य के जीवन के रहस्य पढ़ लेता है

यह कोई अलौकिक शक्ति नहीं, यह अधोगमित (subconscious) से उद्भूत जाग्रत चेतना है।


🌙 5. सोमनेम्बुलिज्म, कैटेलेप्सी, ट्रांस : चेतना के अति–सूक्ष्म द्वार

प्राचीन तांत्रिक और आधुनिक वैज्ञानिक दोनों मानते हैं ; मनुष्य की चेतना तीन परतों में चलती है।

  • जाग्रत चेतना (Conscious)
  • अर्ध–जाग्रत (Sub-conscious)
  • ट्रांस–चेतना (Super-conscious)

ट्रांस में प्रवेश करने पर वह ;

  • सोमनेम्बुलिज्म
  • कैटेलेप्सी
  • सिंकोप
  • सोम्निफर्म
  • त्रान्स–दर्शन

इन अवस्थाओं से गुज़रता है। यह वही स्थिति है जिसमें कवि, संत, ऋषि, भविष्य द्रष्टा अद्भुत वाणी बोलते हैं। उनका स्वर सामान्य नहीं होता। उसमें टोन (Tonic Vibrations) होती हैं। वही कंपन श्रोताओं के हृदय को कोमल कर देता है। यही है प्राचीन मनो चुम्बकत्व (Magnetism)।


🐅 6. यह शक्ति केवल मनुष्य में नहीं ; पशु भी सूक्ष्म चेतना रखते हैं l

पशु भविष्य सूचक होते हैं। भूकम्प, तूफ़ान, बरसात क्सर पहले वही जान लेते हैं। क्योंकि उनके भीतर भी क्लेयरवायेंस की मूल शक्ति विद्यमान है। यह ईश्वर का सहज उपहार है।


🩸 7. मनुष्य के शरीर की दो नसें : Motion Vein & Sensation Vein


प्राचीन योग शास्त्र कहता है

  • मोशन वेन : गति, बल, प्रवाह
  • सैन्सेशन वेन : अनुभूति, संवेदना, आकर्षण

दोनों नसों में रक्त नहीं प्राण रस बहता है। यह रस जब उर्जित होता है, तो मनुष्य का आकर्षण चुम्बकत्व बढ़ जाता है। जो साधक इस प्राणरस को नियंत्रित कर लेता है,

वह ;

  • रोगों को दूर कर सकता है
  • वस्तुओं पर प्रभाव डाल सकता है
  • दूसरों के मन को पढ़ सकता है
  • भविष्य के संकेत पकड़ सकता है

यही है मैस्मरिज्म का मूल तत्व।


🌟 8. मैस्मरिज्म का अंतिम फल : भूत भविष्य वर्तमान का साक्षात्कार

जब मनुष्य की प्राण नसें तेजस्वी होती हैं, वह एक विशेष स्थिति में प्रवेश करता है ; जहाँ क्लेयरवायेंस स्पष्ट रूप में प्रकट हो जाती है।

और तब वह

  • किसी भी स्थान की खबर जान सकता है
  • कालत्रय (भूत, भविष्य, वर्तमान) को भेद सकता है
  • सूक्ष्म जगत का अनुभव कर सकता है
  • आत्मसंवाद सुन सकता है
  • रुहों (spiritual entities) का अनुभव कर सकता है

यही प्राचीन ऋषियों की अनाहत दृष्टि, ऋत्विज दृष्टि, त्रिकाल दर्शन, योग दृष्टि कहलाती थी।


🔱 निष्कर्ष : मैस्मरिज्म कोई चमत्कार नहीं ; मनुष्य की सुप्त दिव्य चेतना है

सार यही है,

  • मैस्मरिज्म = प्राण चुम्बकत्व
  • क्लेयर–वायेंस = जाग्रत सूक्ष्म दृष्टि
  • ट्रांस = चेतना का द्वार
  • भविष्य ज्ञान = मन का उच्च कम्पन
  • स्पर्श चिकित्सा = ऊर्जा का स्थानांतरण

यह कला जितनी रहस्यमयी है, उतनी ही स्वाभाविक भी है। जिसने अपने भीतर की प्राणलहरी को स्थिर, संतुलित और शुद्ध कर लिया ; वही ईश संस्पर्श की इस अद्भुत शक्ति का अधिकारी बन जाता है।


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