छिन्नमस्ता पराडाकिनी है और त्रिपुर भैरवी अपराडाकिनी है। छिन्नमस्ता का सम्बन्ध महाप्रलय से रहता है और त्रिपुर भैरवी का सम्बन्ध खण्ड प्रलय से रहता है। त्रिभुवन से पदाथों का विनाश त्रिपुर भैरवी अपनी विशकलन -- क्रिया द्वारा करती है।
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