हमें अपने दैनिक जीवन में, सुबह से शाम और शाम से सुबह तक विभिन्न घटनाओं से निपटना पड़ता है। इन घटनाओं की पृष्ठभूमि पर हम कुछ लक्षणों का अनुभव करना शुरू करते हैं जो हमारे कष्ट, अनुभव और हित संबंधों को पूरी तरह से तहस नहस करते हैं।
इन सभी लक्षणों का आपके मानसिक, शारीरिक, वित्तीय, सामाजिक और आध्यात्मिक अस्तित्व पर गहरा प्रभाव पड़ता है, जिसे अनदेखा करना खतरनाक हो सकता है!
यदि आप इस दत्तप्रबोधिनी पोस्ट के माध्यम से इन आपदाओं के बारे में कोई पूर्वसूचना प्राप्त कर रहे हैं, तो इसे बहुत गंभीरता से लें और तत्काल संभव निवारक भूमिका को लें और अपने जीवन को सुरक्षित, सुखी और समृद्ध बनाएं!
अचानक ही जीवन में घटित होने वाली आपदा के 10 लक्षण निम्नलिखित हैं।
- 1। हमारे पूरी मेहनत का बेकार होना यानी आपके मुंह तक आने वाला मेहनत का निवाला अचानक ही दूर होना।
- 2। घर में हर दिन क्लेश, लड़ाई की शुरुआत होना।
- 3। घर के मंदिर की तस्वीरों या मूर्तीयों का टूटना। लिंक
- 4। पूर्णिमा और अमावस के दिन बुखार और बुखार से संबंधित तकलीफ का होना।
- 5। सपनों में गंदा पानी, काला रेडा और प्रेतरूप दिखाई देना।
- 6। शरीर पर पहने जाने वाले कपड़े पर अधिक (+) का चिन्ह पड़ना।
- 7। घर पर पकाएं हुए चावल में छह घंटे के भीतर पानी छूटना। (फ्रिज में नहीं रखे हुए)
- 8। घर में बढ़े हुए तुलसी के पौधे का सुख कर गल जाना।
- 9। घर के दरवाजे पर, काले कौऐ का आकर चिल्लाना।
- 10। सुहागनों के माथे पर कुमकुम या बिंदी का ना टिके रहना (कुमकुम और बिंदी का मिटना) और गले के मंगलसूत्र का अचानक टूटना ।
ये सभी लक्षण किसी भी समय हमारे जीवन में एक बड़ी आपदा का खतरा पैदा कर सकते हैं। इस संबंध में व्यक्ति जितना सतर्क और रोकथाम करने वाला होगा, खतरे का स्तर उतना ही कम होगा।
इन सभी लक्षणों पर नवग्रह, नक्षत्रों और आस-पास की नकारात्मक शक्तियों का परिणाम अधिक रहता है जब साथ में निवासी वास्तु के विषय में कोई असमंजस अथवा दोष है तब परिणामों की तीव्रता अधिक होती है। बेशक, निम्नलिखित चीजो का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष सहभाग आने वाले बुरे काल समय पर रहता हैं।
- १. नवग्रह पीडा
- २. नक्षत्र
- ३. पूर्णिमा तथा अमावस योग
- ४. करणी बाधा
- ५. वास्तु दोष
- ६. कुलदेवताने ने हमें दूर कर देना
- ७. प्रारब्ध के भोग भोगना
- ८. मृतात्माओं का पितृओं सहित मिलकर पीड़ा देना
- ९. सुख समृद्धीपर दूसरों की नजर अथवा दृष्टीदोष का लगना
- १०.बेटी को अपनी माँ का श्राप लगना
इन सभी कारणों से, मानव जाति पर बुरे काल और समय का आघात होता है, अर्थात्, इनसे बचने के लिए किए जाने वाले उपायों का यथाशक्ति उपयोग जरूर करें।
संपर्क : श्री. कुलदीप निकम
( Dattaprabodhinee Author )
भ्रमणध्वनी : +91 9619011227
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