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🔱 मन्त्र जप और तंत्र साधना की सम्पूर्ण विधि
मन्त्र उच्चारण के तीन भेद हैं - वाचिक, उपांशु और मानसिक।
जिस मन्त्र को दूसरा सुन सके वह वाचिक होता है। जिसको कोई सुन न सके उसे उपांशु कहते हैं और जिसके उच्चारण में ओंठ न हिले उसे मानसिक कहते हैं। अभिचार के प्रयोग में वाचिक जप सिद्धि देने वाला होता है। शान्ति तथा पुष्टि कर्म में उपांशु जप को श्रेष्ठ कहा गया है तथा मोक्ष साधन में मानसिक जप सबसे प्रभावशाली माना गया है।
🪔 कुम्भ स्थापन की विधि
अब मैं साधकों को कुम्भ स्थापन की विधि भी बतला रहा हूं:
- शान्ति में सुवर्ण या ताम्र कलश
- अभिचार में लोहे का कलश
- मोहन कार्य में रौप्य का कलश
- उच्चाटन में काँच का कलश
- मारण में मिट्टी का कलश
🔥 हवन सामग्री का चयन
साधना में हवन का विशेष महत्व है, सामग्री का चयन कार्य अनुसार करें:
- शान्ति कर्म: दूध, घी, तिल, गूलर व पीपल की लकड़ी
- पुष्टि कर्म: घी, बेलपत्र, चमेली के पुष्प
- वशीकरण: राई और नमक
- उच्चाटन: कौवे के पंख
- मोहन: धतूरे के बीज
- मारण: कन्हेरे पुष्प को खून में भिगोकर
🖐 हवन मुद्राएँ
- शूकरी मुद्रा: हाथ सिकोड़कर आहुति
- हैंसी मुद्रा: कनिष्ठा उंगली छोड़कर
- मृगी मुद्रा: कनिष्ठा और तर्जनी से
📿 माला का चयन और प्रयोग
- आकर्षण: हाथी के दाँत की माला
- वशीकरण और पुष्टि: मुंगा व मणि की माला
- उच्चाटन और विद्वेषण: सूत या बाल में घोड़े के दाँत
- मारण: गधे के दाँत की माला
- रुद्राक्ष, शंख, मणि, कमलगट्टा: सभी जपों में उपयोगी
- सरस्वती साधना: स्फटिक, मोती की माला
- तुलसी की माला: अत्यंत शुभ
📌 माला प्रयोग की सावधानियाँ
- रुद्राक्ष को गंगाजल से धोकर, धूप से शुद्ध करें
- माला पैर से न लगे
- मूंगे की माला में 86 दाने हों
- मूंगे की माला को लोहबान से धूनी दें, धूप वर्जित है
🧘 साधना नियम और मन्त्र सिद्धि
- जप के समय अंगुलियों की स्थिति कार्यानुसार बदलें
- स्नान करके मन्त्रों को विधिपूर्वक लिखें
- तीन रात तक पृथ्वी पर शयन करें
- तीसरे दिन मन्त्र का श्रद्धा से जाप करें
धैर्य, श्रद्धा और नियम पालन से ही साधक को पूर्ण सिद्धि प्राप्त होती है।
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