
तन्त्रसार में मातंगी का जो स्वरूप प्रार्थना के सन्दर्भ में प्रस्तुत किया गया है, उसके अनुसार यह शक्ति साधक के सभी अभीष्टों को सिद्ध करती है। नीलकमल की भाँति श्यामल रंग वाली बिराजती है, असुरों का नाश करने के लिए दावाग्नि रूप है, वह हाथों में पाश, खड्ग, अंकुश, खेटक, कमल धारण करती है--
श्यामां शुभ्रांशुमालां त्रिनयन कमलां रत्नसिंहासनस्थां ।
भक्ताभीष्टं प्रदात्रीं सुरनिकर सेव्यां नील कंजा घ्रा ।।
मातंगी के इस स्वरूप के तथा उसके अस्त्रों के प्रतीकों की व्याख्या पहले अन्य महाशक्तियों का प्रतीक व्याख्या में की जा चुकी है। यहाँ पुनरूक्ति की आवश्यकता नहीं है।
( Dattaprabodhinee Author )
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